प्रेम आरधना
भावनाएँ वेदनाएँ प्रेम पूजा और हम,
बिम्ब है सारे तुम्हारे काँच का दर्पण है मन,,
हो गई जब श्याममय है श्याम की है साधिका ,
प्रेम का कर आचमन वह बन गई है राधिका,,
वासना से द्वेषना से प्रेम ऊपर जब उठा,
आदमी तब आदमी से बन गया है देवता,,
बन सका सागर कहाँ मै लहर बन कर के जिया,
द्वेषना का वासना का हर गरल पीता रहा,,
ज्योत्स्ना जीवन की हो तुम दिव्यता आलोक की,
तुम से मिलकर आदमी से बन गया मै देवता,,
Gopal Gupta "Gopal"
HARSHADA GOSAVI
31-Jul-2023 07:09 AM
Very nice
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Gunjan Kamal
31-Jul-2023 05:44 AM
👏👌
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Khushbu
31-Jul-2023 05:04 AM
Nice
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